Hi, I am Nityanand Kumar, In this blog we read about”Jagannath Puri Rath Yatra 2025 date, timings, History and Significance“
Introduction
जगन्नाथ पुरी भारत के चार धामों में से एक है। हिंदू धर्म में यह एक पवित्र आस्था का केंद्र है। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का है एवम भगवान जगन्नाथ को समर्पित है अर्थात भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। जगन्नाथ का अर्थ है जगत के स्वामी। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्णा अपने बड़े भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है। इस मंदिर को कई नाम से जाना जाता है जैसे कि हम यामनिका तीर्थ, सफेद पोगोडा। यह मंदिर विशेष रूप से अपनी वार्षिक अर्थात के लिए प्रसिद्ध है इसमें लाखों से श्रृद्धालु की भीड़ जमा होती है। जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के भारतीय शहर पूरी में स्थित है।
Table of Contents
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2025 तारीख(Jagannath Puri Rath Yatra 2025 date):
साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है। इस वर्ष यह यात्रा 27 जून 2025 को शुरू होगी।
जगरनाथ मंदिर का इतिहास(History of Jagannath Puri Temple):
- जगन्नाथ मंदिर का बहुत पुराना और अनोखा इतिहास है। कई विदेशी आक्रमण करी ने इसे तोड़ने का प्रयास किया। माना जाता है कि मंदिर का पहला साक्ष्य महाभारत में मिला। कहा जाता है की सबसे पहले विश्व वाशु ने नीलमाधव के रूप में उनकी पूजा की थी।
- राजा इंद्रदयुम्न मालवा के राजा थे। ऐसा माना जाता है की उन्हें सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए थे। तत्पश्चात उन्होंने ही राजा को मंदिर बनवाने का संदेश दिया। ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग के बाद भगवान श्री कृष्णा पुरी में ही निवास करते थे। ब्रह्मा और स्कंद पुराण के मुताबिक भगवान श्री कृष्णा पुरी में नील माधव के रूप में निवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर के अंदर लगे लकड़ी की प्रतिमा में आज भी भगवान श्री कृष्ण का दिल लगा हुआ है और धड़क भी रहा है।
- 12वीं शताब्दी के आसपास राजा अनंत बर्मन ने पूरी में इस मंदिर का निर्माण करवाया। उनके बाद कई राजा ने अपने समय में इसके प्रांगण व बाहरी क्षेत्र का निर्माण करवाया।
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का महत्व(Significance of Jagannath Puri Rath Yatra):
जगरनाथ मंदिर: पुरी(Puri), भगवान जगरनाथ के नाम से ही जाना जाता है। इनमें भगवान श्री कृष्णा अपने भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान रहते हैं। विश्व भर में इनकी प्रसिद्धि कई चीजों से है जैसे की:
- यह मंदिर अपने रथ यात्रा के लिए बहुत प्रसिद्ध है ,वर्ष में एक बार होता है।
- इनकी वास्तुकला बहुत सुंदर है।
- कहां जाता है कि मंदिर के ऊपर लगे उसे चक्र को किसी भी दिशा से देखो, आपको प्रतीत हुआ कि वह आप ही की दिशा में है।
- मंदिर के ऊपर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है।
- मंदिर में बना प्रसाद आज तक कभी कम नहीं हुआ है, आश्चर्य की बात यह है कि हर दिन एक ही नाप से प्रसाद बनता है।
- इस मंदिर की कभी गुबंद की परछाई नहीं बनती।
- गुबंद के पास कोई पक्षी नहीं उड़ाता है।
- मंदिर के अंदर प्रवेश रखते ही समुद्र की लहरें सुनाई नहीं पड़ती।
जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचें(How to reach Jagannath Puri)?
हवाई मार्ग से यात्रा:
पुरी में तो कोई हवाई अड्डा नहीं है परंतु उसे निकाल भुवनेश्वर में बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। वहा से लगभग पूरी 60 किलोमीटर पर स्थित है। हवाई अड्डे से आपको बस, ऑटो मिलते रहेंगे जहां से आप आराम से पुरी पहुंच सके है।
ट्रेन से यात्रा:
पुरी के रेलवे स्टेशन भारत के हर बड़े स्टेशन से जोड़ा गया है। भारत के हर बड़े शहर की ट्रेन पूरी में आकर रूकती है। ट्रेन सफर करना आसान भी होता है और यह सीधा आपको पूरी लाकर छोड़ेगा।
दिल्ली से पूरी जाने के लिए ट्रेन :
- नीलाचल एक्सप्रेस (12876)
- यह ट्रेन नई दिल्ली से सुबह 7:30 बजे निकलती है और करीब 34 घंटे 45 मिनट में पुरी पहुंचती है.
पटना से जगन्नाथ पुरी के लिए ट्रेनें :
- पटना पुरी स्पेशल – 08450,
- शालीमार पुरी स्पेशल – 08037,
- सांतरागाछी पुरी स्पेशल – 08404.
राँची से जगन्नाथ पुरी के लिए ट्रेनें :
- तपस्विनी एक्स्प्रेस (18451) – यह ट्रेन राँची से सुबह 14:30 बजे चलती है और शाम 6:55 बजे पुरी पहुंचती है साथ ही यह ट्रेन हफ़्ते के सातों दिन चलती है.
बोकारो स्टील सिटी से जगन्नाथ पुरी के लिए ट्रेनें:
- पुरुषोत्तम एक्स्प्रेस (12802) – यहां ट्रेन दिल्ली से रात 10:40 बजे चलती है और करीब 30 घंटे 45 मिनट में पुरी पहुंचती। बोकारो स्टील सिटी से दोपहर 4:30 बजे चलती है और सुबह 5:25 बजे पुरी पहुंचती है. यह ट्रेन हफ़्ते के सातों दिन चलती है।
सड़क मार्ग से यात्रा:
- पुरी से NH –3 16 पास किया गया है। देश के सभी बड़े शहरों को पूरी , बुनेश्वर , कटक को जोड़ता है। यहां से नियमित बस चली जाती है जो आपके शहर से भी जलते ही होगी। अगर आप चाहते हैं ज्यादा आराम से जाएं तो आप अपनी कार से भी जा सकते हैं।
पुरी में घूमने लायक कुछ अन्य जगहें(Some other places to visit in Puri):
गुडीचा मंदिर:
- गुड़ीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रखता है। माना जाता है कि यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी उड़ीसा को समर्पित है। रथ यात्रा के दौरान 7 दिन तक भगवान जगन्नाथ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा साहित गुड़िचा मंदिर में ही रुकते हैं। उनकी मौसी उन्हें रोथिडो, पिथड़ो , रसगुल्ला खिला के स्वागत करती है।
- इसीलिए यह रथ यात्रा के दौरान बहुत महत्वपूर्ण रहता है। रथ यात्रा से एक दिन पहले मंदिर को शुद्ध किया जाता है।
स्वागद्वार समुद्र तट:
- जगरनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर या तट स्थित है। इसके प्रसिद्ध समुद्र तट के किनारे इसके रेत से है। माना जाता है कि यह स्वर्ग का द्वार है। यहां पर श्मशान घाट भी है। इसके प्रसिद्ध सूर्योदय और सूर्यास्त से भी है।
चंद्रभागा समुद्र तट:
- चंद्रभागा समुद्र तट उड़ीसा की पूरी जिले में स्थित है। यह कोणार्क मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यह भारत का पहला ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त करने वाला देश बन गया है। माना जाता है यह की कुष्ठ रोगियों का प्रकृति इलाज का स्थान है। यह अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। अपने अंदर कई पुरानी कथाएं समेटे हुए हैं ।
चिल्का झील:
- चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी तटीय झील है जो कि उड़ीसा की पूरी में स्थित है।
आपको हमारी यह ब्लॉग अछि लागि तो आप हमारे दूसरे ब्लॉग “भारत में महाशिवरात्रि 2025 तारीख और समय” को भी पढ़ सकते है |
निष्कर्ष(Conclusion):
पुरी का जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है। भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, आस्था विश्वास का संगम है। भारत के महत्वपूर्ण धरोहर है जिससे करोड़ों लोगों की आस्था जुडी हुई है।
Why Puri Rath Yatra is celebrated?
जगन्नाथ पुरी भारत के चार धामों में से एक है। हिंदू धर्म में यह एक पवित्र आस्था का केंद्र है। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का है एवम भगवान जगन्नाथ को समर्पित है अर्थात भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। जगन्नाथ का अर्थ है जगत के स्वामी। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्णा अपने बड़े भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है। इस मंदिर को कई नाम से जाना जाता है जैसे कि हम यामनिका तीर्थ, सफेद पोगोडा। यह मंदिर विशेष रूप से अपनी वार्षिक अर्थात के लिए प्रसिद्ध है इसमें लाखों से श्रृद्धालु की भीड़ जमा होती है।
What is the real story of Jagannath Puri?
राजा इंद्रदयुम्न मालवा के राजा थे। ऐसा माना जाता है की उन्हें सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए थे। तत्पश्चात उन्होंने ही राजा को मंदिर बनवाने का संदेश दिया। ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग के बाद भगवान श्री कृष्णा पुरी में ही निवास करते थे।
Where is Lord Krishna’s heart kept?
ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर के अंदर लगे लकड़ी की प्रतिमा में आज भी भगवान श्री कृष्ण का दिल लगा हुआ है और धड़क भी रहा है।
Who is Gundicha Devi?
गुड़ीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रखता है। माना जाता है कि यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी उड़ीसा को समर्पित है। रथ यात्रा के दौरान 7 दिन तक भगवान जगन्नाथ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा साहित गुड़िचा मंदिर में ही रुकते हैं। उनकी मौसी उन्हें रोथिडो, पिथड़ो , रसगुल्ला खिला के स्वागत करती है।
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