Hi, I am Nityanand Kumar, In this blog we read about “Men’s Mental Health Crisis in India: Current Issues and Challenges”.
Introduction
भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। भारत का 70% जनसंख्या 35 साल से कम है। वही 15 से 20 साल की जनसंख्या 25.4 करोड़ है।वही युवा जो देश का भविष्य तय करता है, आज वह मानसिक पीड़ा से जूझ रहा है।
- किसी भी समाज के लिए वहां के युवाओं को मानसिक संतुलन रखना, एकाग्रता बनाए रखना बहुत ही जरूरी होता है। दिन प्रतिदिन पुरुष समाज मानसिक पीड़ा का शिकार हो रहा है।हमारा समाज का कुछ माहोल इस तरह है की हम पुरुष से बहुत कुछ एक्सपेक्टेशन कर लेते है जिसके वजह से पुरुष अपनी समस्या बताने से कतराता है, जिससे उनकी समस्या बढ़ती जाती है। और एक समय ऐसा आया है इंसान सुसाइड कर लेता है।
Table of Contents
Men’s Mental Health Crisis in India: Current Issues and Challenges(भारत में पुरुषों का मानसिक स्वास्थ्य संकट: वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ) :
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड रिपोर्ट माने तो 72.5 परसेंट लोगों ने सुसाइड कमिट किया है जो की एक बहुत ही गंभीर समस्या है। 2014 से लेकर 2021 के बीच में 170.2 परसेंट की आत्महत्या दर में वृद्धि हुई है,जो इशारा कर रही है कि आज पुरुषों पर कितना दबाव बढ़ रहा है। इससे यह पता चल रहा है कि हमारा समाज किसी और जा रहा है और कैसे धीरे-धीरे यह मानसिक रूप से घायल कर रहा है।
भारत में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य संकट पर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव(Social and cultural impact on Men’s Mental Health Crisis in India):
- हमारा समाज पुरुष प्रधान है। तो समाज अपेक्षा करता है कि पुरुष आत्मानिर्भर हो, उनके बाजू कठिनाई सहने की क्षमता रखता हो, भावनाओं में न बहे, हर मुसीबत को झेलने की क्षमता रखता हो। इस वजह से पुरुष हमेशा अपना भावना , समस्या दूसरे के सामने व्यक्त करने से बचता है क्योंकि वह यह मानता है कि इसकी समस्या सुनने के बाद सामने वाला उसका परिहास बनाएगा।पुरुषों को इस मामले में ऐसा विचार रखना स्वाभाविक है। सही कारण है कि धीरे-धीरे पुरुषों के मस्तिष्क में दबाव बढ़ता है और एक समय ऐसा आता है कि वह सहन नहीं कर पता है और वो खुद को समाप्त कर लेता है।
पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर पारिवारिक माहौल(Family atmosphere on Men’s Mental Health):
- परिवार को अपने मुखिया से कई अपेक्षा होती है। पूरा परिवार मुखिया पर निर्भर रहता है। अपेक्षा करना या, निर्भर रहना गलत नहीं है क्यूंकि हर परिवार की मुखिया का कर्तव्य होता है कि वह परिवार का भरण पोषण करें, गलत तब होता है जब परिवार के सदस्य अपने क्षमता से अधिक मांग करते हैं। उस समय वो पुरुष परिवार की मांग को पूरा करते-करते खुद से हार जाता है। दूसरों की इच्छा को तो पूरा कर देता है परंतु खुद की जरूरत पूरा नहीं कर पाता है।
- अगर कोई इंसान घर की जरूरत को पूरा कर भी लेता है तो वो अपने ही घर में शांति प्रकार नहीं बरकार रख पाता है। दरअसल अक्सर घर में देखा जाता है की सास बहू,ससुर बहू, या अन्य रिश्ते सही से नहीं चल पाते हैं तो एक पुरुष इन सभी समस्याओं से भी जूझता रहता है।
- अगर सब कुछ सही चल रहा हो तो बीवी से संबंध खराब रहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो फिर पत्नी डायवोर्स लेने की बात करती है साथ ही अलग-अलग झूठे मुकदमे भी लगती है। भारत में ज्यादातर सुसाइड पत्नी से अच्छे संबंध न होने के कारण होता है।क्योंकि पत्नी अल्मोनी के लिए पति पर झूठे आरोप की टोकरी ऐसे फोड़ती है की जिंदगी भर वो पति कोर्ट में पिस्ता रहता है। ऐसे ही हम कुछ उदाहरण देखते हैं जिन्होंने अपनी पत्नी से परेशान होकर की आत्महत्या कर ली।
अतुल सुभाष दुःखद घटना(Atul Subhash sad incident):
- अतुल सुभाष एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर था। अपनी पत्नी के द्वारा लगाइए मुकदमे से गुजर रहा था, ओर दिसंबर में इसने आत्महत्या कर लिया। इनके पिता रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर थे। 2019 में उनकी शादी निकिता सिंघानिया से हुई थी। किसी कारण संबंध खराब होने के कारण उनका डिवोर्स होना तय हुआ। इसके बाद निकिता सिंह ने अतुल सुभाष से 3 करोड़ अल्मोने के तौर पर और 40000 हर महीने की मांग की।
- यहां तक की अतुल पर दहेज लेने एवं उसके पिता द्वारा निकिता के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया। और कई सारे मुकदमे लगाए है जैसे कि अननेचुरल सेक्स, मारपीट, दहेज आदि। साइड से पहले अतुल सुभाष ने 24 पेज का एक नोट तैयार किया था उसमें उसने बताया कि उसकी पत्नी ने कोर्ट में उसकी इनकम 80 लाख बताया है। और उसकी पत्नी अतुल से कुछ बड़ा एक्सपेक्टेशन करती थी,जो अतुल के लिए मुमकिन नहीं था। इन सबसे परेशान हो करके अतुल ने 24 पेज का नोट डेढ़ घंटे का वीडियो बना कर अपने भाई को भेज करके आत्महत्या कर ली।
Steps taken by the Government on Men’s Mental Health Crisis in India(भारत में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य संकट पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम):
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम 1982 से ही कार्य कर रही है। मानसिक विकारों के बोझ को कम करने के लिए सहायता प्रदान कर रही है। 2003 के संशोधन के तहत मानसिक अस्पतालों एवं कॉलेज का आधुनिककारण किया गया।
- मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017: हर वह व्यक्ति जो मानसिक रूप से पीड़ित है उसे सरकार संचालित एवं उपचार के लिए हर तरह से सुविधा प्रदान कर रही हैं।
- किरण हेल्पलाइन 2020(The Kiran Helpline): बढ़ते कैसे उसको देखते हुए आज सरकार ने किन हेल्पलाइन नंबर जारी किया। यह एक फ्री हेल्पलाइन नंबर है इसमें लोग अपनी समस्या शेयर कर सकते हैं।
- मानस मोबाइल एप(Manas Mobile App): 2021 में भारत सरकार ने इस ऐप को लांच किया इसमें विभिन्न आयु के लोग अपनी व्यथा का वर्णन कर सके।
मानसिक स्वास्थ्य संकट से तनाव से कैसे बाहर निकलें(How to get out of stress from Mental Health Crisis):
- घर से बाहर निकले अलग-अलग लोगों से मिले।
- मेडिटेशन करें।
- प्रातः व्याम करे
- रूम मैं कभी भी अकेले न रहे।
- जितना हो सके उतना सोने का प्यार करें
- डॉक्टर से मिलकर अपनी व्यथा का वर्णन करें।
आपको हमारी यह ब्लॉग अछि लागि तो आप हमारे दूसरे ब्लॉग “आधुनिक भारत में केवल संस्कृत बोलने से क्या होता है” को भी पढ़ सकते है |
निष्कर्ष(Conclusion on Men’s Mental Health Crisis in India):
- भारत में पुरुषों की आत्महत्या का दर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यह सच है कि कोई भी व्यक्ति खुशी से आत्महत्या नहीं करता है वह किसी ने किसी सामाजिक, पारिवारिक या अन्य किसी दबाओमे ही ऐसा कदम उठाता है परंतु आत्महत्या ही हर समस्याओं का हल नहीं होता है, क्योंकि आत्महत्या करने से समस्या का समाधान नहीं होता है। उसके समाधान के लिए इंसान को जीना पड़ता है और उसे झेलना पड़ता है।
- एक परिवार तब आगे बढ़ सकता है जब सदस्य अपने मुखिया के सुख-दुख दोनों में खड़े रहे। क्योंकि किसी परिवार को आगे बढ़ाने के लिए उसके मुखिया का मानसिक संतुलन होना आवश्यक है तभी एक परिवार, एक समाज, एक देश आगे बढ़ेगा।
What are the mental health issues of men?
किसी भी समाज के लिए वहां के युवाओं को मानसिक संतुलन रखना, एकाग्रता बनाए रखना बहुत ही जरूरी होता है। दिन प्रतिदिन पुरुष समाज मानसिक पीड़ा का शिकार हो रहा है।हमारा समाज का कुछ माहोल इस तरह है की हम पुरुष से बहुत कुछ एक्सपेक्टेशन कर लेते है जिसके वजह से पुरुष अपनी समस्या बताने से कतराता है, जिससे उनकी समस्या बढ़ती जाती है।
Why is men’s mental health in crisis?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड रिपोर्ट माने तो 72.5 परसेंट लोगों ने सुसाइड कमिट किया है जो की एक बहुत ही गंभीर समस्या है। 2014 से लेकर 2021 के बीच में 170.2 परसेंट की आत्महत्या दर में वृद्धि हुई है,जो इशारा कर रही है कि आज पुरुषों पर कितना दबाव बढ़ रहा है। इससे यह पता चल रहा है कि हमारा समाज किसी और जा रहा है और कैसे धीरे-धीरे यह मानसिक रूप से घायल कर रहा है।
What percentage of men struggle with mental health?
भारत का 70% जनसंख्या 35 साल से कम है। वही 15 से 20 साल की जनसंख्या 25.4 करोड़ है।वही युवा जो देश का भविष्य तय करता है, आज वह मानसिक पीड़ा से जूझ रहा है।
Why is male mental health ignored?
हमारा समाज पुरुष प्रधान है। तो समाज अपेक्षा करता है कि पुरुष आत्मानिर्भर हो, उनके बाजू कठिनाई सहने की क्षमता रखता हो, भावनाओं में न बहे, हर मुसीबत को झेलने की क्षमता रखता हो। इस वजह से पुरुष हमेशा अपना भावना , समस्या दूसरे के सामने व्यक्त करने से बचता है क्योंकि वह यह मानता है कि इसकी समस्या सुनने के बाद सामने वाला उसका परिहास बनाएगा।पुरुषों को इस मामले में ऐसा विचार रखना स्वाभाविक है। सही कारण है कि धीरे-धीरे पुरुषों के मस्तिष्क में दबाव बढ़ता है और एक समय ऐसा आता है कि वह सहन नहीं कर पता है और वो खुद को समाप्त कर लेता है।
2 thoughts on “Men’s Mental Health Crisis in India: Current Issues and Challenges”