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Mahakumbh Mela Kab Tak Hai ? महाकुंभ मेला कब तक है ?

महाकुंभ एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक मेला है, जो की हर 12 वर्षों में एक बार चार पवित्र नदियों के किनारे स्थित चार धार्मिक स्थलों पर आयोजित किया जाता है—हरिद्वार (गंगा नदी), प्रयागराज (गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम), उज्जैन (क्षिप्रा नदी), और नासिक (गोदावरी नदी)। इसे दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु स्नान, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। 6 वर्ष में होने वाले कुंभ को अर्ध कुंभ कहा जाता है।

2025 में आयोजित हो रही इस पावन संगम को महाकुंभ कहा जाता है क्योंकि इस बार  महाकुंभ 144 वर्ष के बाद ऐसा योग बना है और फिर से यह योग 144 वर्ष के बाद बनेगा। इसीलिए इस बार का महाकुंभ खास बन जाता है।

Mahakumbh Mela Kab Tak Hai ?| महाकुंभ मेला कब तक है ?

Mahakumbh Mela Kab Tak Hai

2025 में महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। यह मेला 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी 2025 (मौनी अमावस्या के बाद) तक चलेगा। ऐसे माना जा रहा है कि कई करोड़ लोग प्रतिदिन स्नान करेंगे।

महाकुंभ में होने वाले प्रमुख  शाही स्नान

1. 13 जनवरी 2025 – पौष पूर्णिमा

2. 29 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति

3. 3 फरवरी 2025 – मौनी अमावस्या (सबसे बड़ा स्नान दिवस)

4. 12 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी

5. 26 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा

2025 में होने वाले महाकुंभ की अवधि 44 दिन तक रहेगी। 

सरकार की ओर से महाकुंभ मेला तैयारी |

प्रयागराज महाकुंभ 2025 के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं के  लिए बड़े स्तर  पर प्रबंध किए हैं। इस महाकुंभ में न केवल राज्य सरकार ने अपनी तरफ से फंड दिए बल्कि गवर्नमेंट ने अलग से फंड दिए। सुरक्षा के लिए सात स्तरीय व्यवस्था लागू की गई है, जिसमें कुल 37,611 पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। इनमें महाकुंभ मेला क्षेत्र में 22,953 पुलिसकर्मी, प्रयागराज कमिश्नरेट में 6,887 पुलिसकर्मी, और जीआरपी के 7,771 पुलिसकर्मी शामिल हैं। महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 1,378 महिला पुलिसकर्मी भी तैनात की गई है। नो घाट बनाए गए हैं इनमें से साथ पहले थे और दो नए बनाए गए। ताकि बड़े से बड़ी संख्या स्नान कर सके।

इसके अतिरिक्त, 14,000 से अधिक होमगार्ड्स की तैनाती की गई है। पूरे मेला क्षेत्र को 10 जोन, 25 सेक्टर, 56 थानों और 155 पुलिस चौकियों में विभाजित किया गया है। सुरक्षा की निगरानी के लिए 80 वीएमडी स्क्रीन लगाई गई हैं, और पहली बार टीथर ड्रोन का उपयोग भी किया जा रहा है।

महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सात स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है, जिसमें मूल स्थल पर चेकिंग से लेकर मेला क्षेत्र के अंदरूनी हिस्सों तक निगरानी शामिल है।

महाकुंभ का प्रथम एवं द्वितीय दिन

क्या बता पाना मुश्किल है कि कितने लोगों ने स्नान किया परंतु यह आंकड़ा माना जा रहा है कि महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हुई, और पहले दिन लगभग 45 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। इसके अगले दिन, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर, यह संख्या बढ़कर लगभग 3.5 करोड़ हो गई। इस प्रकार, महाकुंभ के पहले दो दिनों में कुल मिलाकर लगभग 5.2 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान करा ।

महाकुंभ के दौरान, विशेष शाही स्नान के दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। पहला शाही स्नान 14 जनवरी (मकर संक्रांति) को आयोजित किया गया, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। परंपरा के अनुसार पहला स्नान नागा साधुओं ने किया फिर अलग-अलग जगह के अलग-अलग साधु संतों साध्वी ने स्नान किया।

महाकुंभ 2025 के दौरान, कुल 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बना सकता है।

माना जा रहा है कि मोनी अमावस्या के दिन लगभग 10 करोड़ एक साथ स्नान करेगें।

मोनी अमावस्या के दिन भगदड़ क्यों हुई थी ?

दरअसल मौनी अमावस्या से 2 दिन पहले से श्रृद्धालु  की भीड़ बड़ी मात्रा में जुटने लगी थी। परंतु समस्या तब खड़ी हो गई जब यह भीड़ तट के किनारे ही विश्राम करने लगे। प्रशासन के बार-बार समझाने हटाने के बावजूद भी वह भीड़ वहां से नहीं हटी। फिर जब मौनी अमावस्या के दिन भारी भीड़ वहां पहुंची तो श्रद्धालु नागा साधु के स्नान के लिए बनाए गए रास्ते से जाने लगे उसी हलचल को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने जोड़ दिया तो भय उत्पन्न हुआ और वह इधर-उधर भागने लगे। जिसमें 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई और लगभग 90 लोग घायल हो गए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिवारों को गहरी संवेदना एवं उन्हें ₹25-25 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है। तथा इस घटना की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करी है।

प्रशासन ने घायलों को तेजी से अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 50 से अधिक एंबुलेंस का उपयोग किया।

इस घटना के बाद प्रशासन और भी कड़ी सुरक्षा केंद्र का इंतजाम में छूट गई। प्रयागराज से 30 किलोमीटर दूर ही रोड ब्लॉक कर दिया गया ताकि कोई भी चाहे वह दो पहिया हो चार पहिया हो या उसे ज्यादा की हो वह प्रयागराज मे एक साथ ना जा पाए। यहां तक की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए आने वाले 2 दिन तक प्रयागराज एवं दो अन्य रेलवे स्टेशन तक आने वाले सभी ट्रेन रद्द कर दी गई है ताकि स्थिति सामान्य रहे।

फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और सभी कुछ सामान्य रूप से चल रही है।

नागा साधु कौन होते हैं और उनकी क्या विशेषता होती है |

  • नागा साधु वे संत होते हैं जो संन्यासी परंपरा का पालन करते हैं और अपना जीवन आध्यात्मिक साधना, तपस्या और भक्ति में व्यतीत करते हैं। ये साधु मुख्य रूप से अखाड़ों से जुड़े होते हैं, जो हिंदू धर्म की धार्मिक संस्थाएँ हैं।
  • ये साधु भारतीय सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं के रक्षक माने जाते हैं।
  • कठिन तपस्या और योग साधना के कारण इन्हें विशेष सम्मान प्राप्त होता है।
  • ये सांसारिक सुखों से उपर  रहकर आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्ति की साधना करते हैं।

नागा साधुओं की विशेषताएँ :

1. नागा साधु आमतौर पर वस्त्र नहीं पहनते हैं, जिससे उनका नाम “नागा” पड़ा (नग्न रहने वाले)।

2. ये कठोर तपस्या, ध्यान और योग में लीन रहते हैं।

3. नागा साधु मुख्य रूप से भगवान शिव के उपासक होते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।

4. वे विभिन्न अखाड़ों में दीक्षा लेते हैं।

5. कुंभ मेले में नागा साधु सबसे पहले स्नान करते हैं, जिसे शाही स्नान कहा जाता है।

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