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What Happens When You Speak Only Sanskrit in Modern India?

Speak Only Sanskrit in Modern India

Hi, I am Nityanand Kumar, In this blog we Read about “What Happens When You Speak Only Sanskrit in Modern India?”

Introduction

संस्कृत विश्व की पुरानी भाषाओं में से एक है। माना जाता है कि संस्कृत इंडो यूरोपियन भाषाओं की इंडो आर्यन शाखा से संबंधित एक भाषा है। ऐसा माना जाता है कि संस्कृत वैदिक काल से ही चलता आ रहा है। ऐसा माना जाता है की सबसे पहले ऋग्वेद में संस्कृत भजनों का संग्रह पाया गया है। बता दे की ऋग्वेद खुद में सबसे पुराना वेद है ऐसा माना जाता है की इसकी रचना 1500 – 1000 BC के बीच में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इंडो आर्य आज के उतर अफगानिस्तान के पर्वतों से पाकिस्तान को होते हुए भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्र से भारत आए थे। संस्कृत अधिक रूप से शास्त्रीय संगीत को समर्पित है।

  • प्राचीन काल में कई महाकाव्य हुए संस्कृत भाषा में लिखे गए जैसे की रामायण और महाभारत, पाणिनि द्वारा लिखा हुआ अष्टाध्याई जो की एक नाटककार है। कालिदास ने अपने सारे ग्रंथ शास्त्रीय संस्कृत में लिखे एवं आधुनिक अंकगणित की नींव पहली बार संस्कृत में रखी। हर सदी में शास्त्रीय संस्कृत भाषा का उपयोग होने लगा। कई शताब्दी तक इस ब्रह्म लिपि में लिखा गया परंतु आज आधुनिक युग में इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। भारत का संविधान बनने पर संस्कृत को आठवीं अनुसूची में भी दर्जा मिला।

आधुनिक भारत में केवल संस्कृत बोलने से क्या होता है(What Happens When You Speak Only Sanskrit in Modern India)?

  1. सम्मान और श्रद्धा(Respect and Reverence): संस्कृत भाषा सदा से ही पूजनीय रही है। हिंदू धर्म का सारा ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है। यहां तक की प्राचीन काल में जितने भी ग्रंथ ,पुस्तक, महाकाव्य ,वेद, पुराण,नाटककार लिखे गए सारे संस्कृत में ही लिखे गए थे। इतना पवित्र भाषा बोलने पर हर जगह सम्मान मिलना स्वाभाविक है। संस्कृत भाषा सारे भाषाओं की जननी है। आज कई ऐसे धार्मिक स्थल स्कूल ,कॉलेज ,संस्कृत भाषा बोलने वाले को अलग अनोखा सम्मान मिलता है। अगर आप किसी मंदिर में पुजारी के सामने संस्कृत बोलते हैं तो आपकी एक अच्छी छवि बनता है। आम जनता में संस्कृत बोलने वाले की छवि सबसे उच्चतम मानी जाती है , ये आपकी श्रेष्ठता को सिद्ध कर्ता है।
  2. आश्चर्य(Surprise): इसमें कोई शंका नहीं होगा की संस्कृत बोलने वाले को लोग आश्चर्य की दृष्टि से ना देखें। क्योंकि आजकल इस भाषा का प्रयोग करने वाले शायद ही कहीं दिखते हैं।प्राय पंडित के द्वारा मंदिर में ही इसका उपयोग किया जाता है । तो अक्सर ही ऐसा कोई मिलते हैं जो अपनी भाषा में संस्कृत का प्रयोग करते हैं, और वह पंडित ना हो तो ऐसी स्थिति में आश्चर्य होना स्वाभाविक है।
  3. मजाक बनाना(Making fun of): आज का जनरेशन अंग्रेजी बोलने वाले को श्रेष्ठ मानता है । इसलिए ऐसा कई बार होता है कि संस्कृत बोलने वाले का मजाक बनाया जाता है यह का करके की यह तो पुरानी सोच का व्यक्ति है। ऐसी हमारे यहां ऐसा सोच ही बन गया है कि हम देसी चीजों को जल्दी अपनाते हैं एवं स्वदेशी को खराब बतलाते हैं। पर हम भूल जाते हैं की अधिकतर भाषा की जननी संस्कृत है , साथ ही हमारी संस्कृति की पहचान भी है।
  4. आध्यात्मिक जुड़ाव(Spiritual Connection): कई लोग ऐसा मानते हैं की संस्कृति एक ईश्वरी भाषा है। हिंदू धर्म के सारे ग्रंथ ,महाकाव्य, पुराण , वेद संस्कृत में ही लिखे गए हैं। यह लोगों को अध्यात्म से जुड़ता है। जो भाव, मिलाप आंख बंद करके संस्कृत भाषा में मंत्रो का उच्चारण करने पर मिलता है वह किसी दूसरी भाषा में नहीं मिलता है। इसीलिए कहा जाता है कि संस्कृत भाषा मनुष्य को ईश्वर से जोड़ती है।
  5. अपेक्षा(Regardfulness): संस्कृत भाषा के उच्चारण से ही लोगों का आपके प्रति नजरिया बदल जाता है। वे मान लेते हैं कि सामने वाला इंसान व्यक्तित्व का धनी है। उनको भाषा का बोध है और विद्वान भी है।

संस्कृत भाषा के प्रति बदलते दृष्टिकोण(Changing views towards Sanskrit Language):

इस सदी में धीरे-धीरे लोगों का ध्यान संस्कृत की ओर आ रहा है। लोगों को इसके महत्व के बारे में आभास होता हुआ दिखाई पड़ रहा है खास करके आजकल के युवाओं में। अगर हम बात करें कुछ साल पहले की तो लोग संस्कृत सीखना अपमान मानते थे परंतु आज लोग गर्व से संस्कृत का चयन करते हैं।

  1. सोशल मीडिया(Social Media): सोशल मीडिया पर कहीं ऐसे यूट्यूब चैनल है जो संस्कृत भाषा को युवाओं के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। ब्रॉडकास्ट , वेबसाइट के जरिए लोगों को जागरूक करने की पहल छिड़ी हुई है। यहां तक की संस्कृति की शब्दावली निर्मित की गई है।
  2. संस्कृत की ओर सरकार का कदम(Government’s step towards Sanskrit): सरकार भी इस भाषा का सपोर्ट कर रही है। कई राज्य में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के स्कूल और विद्यालयों में भी मुख्य भाषा के तौर पर संस्कृत रखा गया है। प्रांतीय , राजकीय लेवल पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं रखी जा रही है ताकि लोगों का ध्यान आकर्षित हो सके।
  3. सुरक्षा के रूप में संस्कृत का उपयोग(Use of Sanskrit as a Security): ऐसा माना जा रहा है कि नासा सिक्योरिटी के लिए संस्कृत भाषा का उपयोग करेंगे। दरअसल संस्कृत भाषा सबके समझ के परे होता है तो इसमें हैकिंग करने के संभावना कम हो जाती है। इसीलिए बहुत जल्दी नासा अपना लैंग्वेज संस्कृत में कन्वर्ट करने वाली है। संस्कृत भाषा को कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। कई वैज्ञानिक का मानना है कि अब प्रोग्रामिंग व मशीन लर्निंग में भी संस्कृत का उपयोग किया जाए।
  4. संस्कृत बोलने वाले गांव(Sanskrit speaking villages): भारत में आज भी गांव है जो संस्कृत बोलते हैं। गांव का स्थानीय भाषा ही संस्कृत है, जो दर्शाता है कि संस्कृति आज भी जीवित है। कर्नाटक के मट्टूर गांव में आज भी संस्कृत स्थानीय भाषा है। यह एक प्रेरणा का विषय है।

संस्कृत भाषा बोलने के लाभ(Benefits of Speaking Sanskrit Language):

  • संस्कृत के शुद्ध उच्चारण से बोलने की छमता बढ़ती है।
  • मर्यादा में बोलना सिखते है।
  • ईश्वर से जुड़ाव महसूस होता है।
  • संस्कृति मंत्रो के उच्चारण से एकाग्रता बढ़ाने में सहायता मिलती है।
  • लोगों को यहां तक मानना है कि इंसान की सोच को बढ़ावा देती है।
  • बातचीत सेफ रहेगी।
  • समाज में आपको श्रेष्ठ सिद्ध करेगी।

आपको हमारी यह ब्लॉग अछि लागि तो आप हमारे दूसरे ब्लॉग सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में कैसे फंस गईं? को भी पढ़ सकते है |

निष्कर्ष(Conclusion on When you Speak Only Sanskrit in Modern India):

  • संस्कृत भाषा ना सिर्फ भाषा है, यह हमारी धरोहर है जिसे जीवंत रखना हमारा धर्म है। आप पर लोग हसेंगे परंतु उनके दिल में कहीं ना कहीं आपका सम्मान बना रहेगा। संस्कृत बोलना और सुना दोनो ही दुर्लभ है परंतु अगर आप बोलेंगे तो यह आपके व्यक्तित्व की प्रभावशाली बनाता है। फिर से संस्कृत को अपने मुख्य धारा में लाने के लिए हमे इसे अपने दैनिक जीवन में उतरना होगा। फिर से अपनी वाणी , उच्चारण में संस्कृत शब्दों का मिलाप करना होगा। इस भाषा के प्रयोग से आपके व्यक्तित्व में निखार उत्पन्न होगा।

What is the importance of Sanskrit in modern world?

संस्कृत भाषा सदा से ही पूजनीय रही है। हिंदू धर्म का सारा ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है। यहां तक की प्राचीन काल में जितने भी ग्रंथ ,पुस्तक, महाकाव्य ,वेद, पुराण,नाटककार लिखे गए सारे संस्कृत में ही लिखे गए थे। इतना पवित्र भाषा बोलने पर हर जगह सम्मान मिलना स्वाभाविक है। संस्कृत भाषा सारे भाषाओं की जननी है।

What are the benefits of speaking Sanskrit?

संस्कृत के शुद्ध उच्चारण से बोलने की छमता बढ़ती है।
मर्यादा में बोलना सिखते है।
ईश्वर से जुड़ाव महसूस होता है।
संस्कृति मंत्रो के उच्चारण से एकाग्रता बढ़ाने में सहायता मिलती है।
लोगों को यहां तक मानना है कि इंसान की सोच को बढ़ावा देती है।
बातचीत सेफ रहेगी।
समाज में आपको श्रेष्ठ सिद्ध करेगी।

What is the most scientific language in the world?

संस्कृत, विश्व की पुरानी भाषाओं में से एक है। माना जाता है कि संस्कृत इंडो यूरोपियन भाषाओं की इंडो आर्यन शाखा से संबंधित एक भाषा है। ऐसा माना जाता है कि संस्कृत वैदिक काल से ही चलता आ रहा है। ऐसा माना जाता है की सबसे पहले ऋग्वेद में संस्कृत भजनों का संग्रह पाया गया है।

Which village in India speaks Sanskrit?

कर्नाटक के मट्टूर गांव में आज भी संस्कृत स्थानीय भाषा है। यह एक प्रेरणा का विषय है।

Is Sanskrit the purest language in the world?

हाँ,संस्कृत भाषा सदा से ही पूजनीय रही है,इतना पवित्र भाषा बोलने पर हर जगह सम्मान मिलना स्वाभाविक है। संस्कृत भाषा सारे भाषाओं की जननी है।

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